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सोमवार, सितंबर 29, 2014

सड़क

मेरे जीवन का अभिन्न अंग है ,
हर पल मेरे साथ रही, सच्चे मित्र की तरह, सड़क।  


माँ लाई थी अस्पताल से घर तक मुझको,
जन्म से यात्रा में साथ है, सड़क।

धीरे धीरे बड़ा होने लगा, लड़खड़ा कर चलने लगा,
मेरे पहले पग की साक्षी है, सड़क।


 घर से दफ्तर, और दफ्तर से घर,
प्रतिदिन संसार से मुझको  मिलाती, सड़क।        

कभी समर्थन, कभी विरोध,
हर बात पर जाम की जाती, सड़क।


धुंधली दृष्टि, फिर भी याद है मुझको,
घर तक कौन सी ले जाती, सड़क।

जानता  हूँ बफ़ादार है यह,
अंतिम यात्रा में भी साथ होगी, सड़क।


अनुरोध "सन्दर्भ"

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शुक्रवार, सितंबर 19, 2014

आओ एक समझौता करें...

आओ एक समझौता करें,
थोड़ा तुम चलो थोड़ा मैं ,
धीरे धीरे हम नज़दीक आएंगे,
चेहरे कुछ साफ़ नज़र आएंगे,
कहते हैं चेहरा मन का आइना होता है,
आइना झूट नहीं बोलता, हम देखेंगे एक दूसरे का सच,
समझ सकेंगे कुछ ज्यादा एक दूसरे को।

आओ एक समझौता करें,
थोड़ा तुम मुस्कुराओ थोड़ा मैं ,
कहते हैं होठों के इस खिचाव में मौन संवाद है,
संवाद पुल है मेरे और तुम्हारे मन के बीच का,
स्थापित करें इसे, मजबूत करें इसके किनारों को।

आओ एक समझौता करें,
प्रेम की भाषा कुछ तुम बोलो कुछ मैं ,
कहते हैं प्रेम की भाषा सब समझते हैं,
आओ समझे एक दूसरे को ,
इंसान होने का फ़र्ज़ निभाए।


अनुरोध 'सन्दर्भ'

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