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शुक्रवार, सितंबर 19, 2014

आओ एक समझौता करें...

आओ एक समझौता करें,
थोड़ा तुम चलो थोड़ा मैं ,
धीरे धीरे हम नज़दीक आएंगे,
चेहरे कुछ साफ़ नज़र आएंगे,
कहते हैं चेहरा मन का आइना होता है,
आइना झूट नहीं बोलता, हम देखेंगे एक दूसरे का सच,
समझ सकेंगे कुछ ज्यादा एक दूसरे को।

आओ एक समझौता करें,
थोड़ा तुम मुस्कुराओ थोड़ा मैं ,
कहते हैं होठों के इस खिचाव में मौन संवाद है,
संवाद पुल है मेरे और तुम्हारे मन के बीच का,
स्थापित करें इसे, मजबूत करें इसके किनारों को।

आओ एक समझौता करें,
प्रेम की भाषा कुछ तुम बोलो कुछ मैं ,
कहते हैं प्रेम की भाषा सब समझते हैं,
आओ समझे एक दूसरे को ,
इंसान होने का फ़र्ज़ निभाए।


अनुरोध 'सन्दर्भ'

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